लेखनी प्रतियोगिता -30-May-2023 बड़ी बहू छोटी बहू
बड़ी बहू छोटी बहू
राम लाल को दिवंगत हुए अभी पन्द्रह दिन ही हुए थे कि छोटी बहू बबिता ने आज सुबह से बंटवारे लिए घर में तूफान खडा कर रखा था। वह घर के गहने व घर का बटवरा करवाना चाहती थी।
बबिता के पति सूरज ने उसको समझाते हुए कहा," बबिता इस समय इस तरह हंगामा करना ठीक नहीं है क्यौकि पापा की मौत हुए अभी पन्द्रह दिमाग ही हुए हैं।"
बिता मुंह फुलाते हुए बोली ," मुझे अपना हक चाहिए। मैं तुम्हारी तरह पागल नहीं हूँ ? मैं अपना हक आज ही लेकर रहूंगी।"
बिता की ऊंची आवाज सुनकर बबिता की सास व बडी बहू व घर के अन्य सदस्य भी बाहर निकलकर आंगन में आगये।
बबिता अपनी सास की तरफ उंगली करते हुए बोली, " सासू मां मुझे आज ही गहनौ का बटवरा करवा कर अपने हिस्से के गहने चाहिए। आज का मतलब आज ही है। क्यौकि मुझे कल मायके शादी में जाना है।
छोटी बहू की इस तरह की अटपटी बात सुनकर सबिता को अपने पति की बातें याद आगयी।
"सबिता तू जो कुछ कर रही है वह एक दिन हमारे लिए बहुत दुखदाई होगा। तू आज छोटी बहू को इतनी छूट देकर अपना भविष्य खराब कर रही है। तूने बडी बहू को दूर की मक्खी की तरह अलग जो किया है वह ठीक नहीं है। यह एक दिन तेरे ही सिर में काटेगी। बडी बहू का हक उसे ही मिलना चाहिए। उसने हमारी कितनी सेवा की है। उसकी सेवा को भुलाना ठीक नहीं है।" राम लाल ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा।
आज सविता को अपने पति का कहा हुआ एक एक शब्द उसके कान में गूंज रहा था। सबिता को यह भी याद आरहा था कि बडी बहू नेआजतक किसी भी बात का लौटकर जबाब नहीं दिया था।
जबकि सबिता ने उसको बबिता के सामने हमेशा बेइज्जत करने का मौका कभी नहीं छोड़ा था। बडी बहू को कभी भी गहने पहनने को नहीं दिये थे वह अपने मायके भी कभी भी गहने पहनकर नहीं गयी थी। इसकी शिकायत भी कभी नहीं की थी।
आज सबिता की आत्मा जाग गई थी उसने सारे गहने निकालकर बडी बहू को देते हुए कहा , " देख बडी आज इन गहनौ का बटबारा तू करेगी।"
बडी बहू यह सुनकर बोली," नहीं मांजी मै यह कैसे कर सकती हूं?यह सब मुझसे कभी भी नहीं होगा। और न मुझे कोई गहने चाहिए आप यह सब बबिता को ही देदो। इतना कहकर वह अपने कमरे के अन्दर चली गयी।
सबिता ने बडी बहू को अन्दर से बहुत मुश्किल से बाहर बुलाकर गहनौ का बटवरा किया और छोटी बहू को उसका हिस्सा देदिया । वह अपना व बडी बहू का हिस्सा बडी बहू को दे दिया।
यह देखकर बबिता की समझ में आग्या कि चुप रहने मैं कितना फायदा है। ज्यादा बोलकर उसने अपना नुकसान कर लिया।
आज की दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना
नरेश शर्मा "पचौरी"
madhura
25-Jun-2023 11:46 AM
good one
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kashish
17-Jun-2023 04:43 PM
very nice
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Abhinav ji
31-May-2023 08:37 AM
Very nice 👍
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